गर्व से कहती हूं कि मैं बेटी हूँ। मुझे दया अथवा सहानुभूति से मत देखिये। मुझे सबकी बराबरी का वह सम्मान दीजिये जिसे नकार कर आप स्वयं के ही अपमानित होने के द्वार खोलते हैं। लिंग-भेद के आधार पर, श्रेष्ठता की कोई तलाश कतई स्वीकार्य नहीं है क्योंकि यह एक दो-धारी तलवार है। Continue reading