“तिनके की असली महत्ता डूबते का सहारा बनने में नहीं, चोर की दाढ़ी में अटक जाने में है।” आगे न उन्होंने कुछ कहा और न मैंने। बस, एज़ आलवेज़, कॉम्प्रोमाइज़ का एक मासूम सा फ़ार्मूला लिखा गया दोनों पार्टियों के बीच। Continue reading
Category: फ़ोर्थ पॉकेट
Mar 18 2012
(ना) जियो जी भर के!
वह रुखसत हुआ और दिमाग ठण्डा हुआ तो ध्यान आया कि ‘जियो, जी भर के’ वाला फार्मूला यूनिवर्सल लॉ नहीं है। नहीं, त्रिवेदी के रेजिग्नेशन की खबर सुन कर नहीं कह रहा हूँ। दरअसल, मुझे एक कॉमर्शियल एड याद आ गया। Continue reading
Mar 11 2012
दिल के अरमां बह गये
गली-गली में एक ही गाना गूँज रहा है — दिल के अरमां आँसुओं में बह गये। होली के हुड़-दंगिए ने बड़ी दिलचस्प चुटकी कसी। बोला, जीतने वाला हारे हुओं को चिढ़ा रहा है तो हारा हुआ अपना ग़म ग़लत करने में जुटा है। Continue reading
Mar 04 2012
तेल और तेल की धार!
वह ऊँट के किसी दूसरी करवट बैठने का जोखिम उठाने को लेकर डरा हुआ है। ख़ौफ़ इतना कि बिरादरी के किसी उत्साही लाल ने कोई साइड लेने के यदि संकेत भी दिये तो बुजुर्गों ने उस बन्दे को ही डिस-ओन कर दिया। Continue reading
Jan 22 2012
अनोखी टीआरपी
एक पुराना उलाहना है — न नौ मन तेल होगा और न राधा नाचेगी। गोया, सब कुछ भगवान भरोसे! भगवान का यह भरोसा बहुत पुख़्ता है। इसे इस तरह भी देखा जा सकता है कि आज के समय में भगवान की टीआरपी लगातार बढ़त पर है। Continue reading
Jan 15 2012
किसमें कितना है दम!
दिग्गी ने कहा जरूर है कि वे पार्टी आला-कमान से इजाजत लेकर ही हिन्दुओं के उस जलसे में गये थे लेकिन इस फोटो काण्ड ने उनकी अपनी पर्सनल दम-ख़म की कलई तो उतारी ही पार्टी की दम-ख़म का भी फालूदा बना दिया है।
Jan 08 2012
जीत और हार!
‘हार-जीत’ के गेम में ‘ड्रॉ’ का कोई स्कोप नहीं। लेकिन, खुदा न ख़ास्ता टाई की नौबत आ जाए तो क्वाइन उछाल कर या फिर किसी प्रिव्हिलेज्ड वीटो के सहारे, दिस वे ऑर दैट, हार-जीत की पर्ची टिका ही दी जाती है।
Jan 01 2012
ये भी तीतर वो भी तीतर
जेल में मोबाइल फोन के इस्तेमाल की इन-इफ़ेक्टिव पाबन्दी हटा ली जायेगी। बताया जा रहा है कि इस तरह जब भाई लोग खुल्लम-खुल्ला बात करेंगे तो प्रशासन को उनकी प्लानिंग मालूम करने का गारण्टीड मौका मिलेगा!